भूमि, क़ानून एवं व्यवस्था और पुलिस के अलावा दिल्ली सरकार का प्रशासनिक सेवाओं सहित सभी सेवाओं पर होगा नियंत्रण: सुप्रीम कोर्ट
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- May 11, 2023
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में माना कि दिल्ली सरकार का राष्ट्रीय राजधानी में भूमि, क़ानून एवं व्यवस्था और पुलिस से संबधित प्रशासनिक सेवाओं को छोड़ कर सभी सेवाओं पर पूरा नियंत्रण होगा।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से माना कि “प्रविष्टि 41 के तहत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विधायी शक्ति भारतीय प्रशासनिक सेवाओं तक विस्तारित होगी और दिल्ली सरकार इन सेवाओं की भर्ती किया बिना भी इन पर पूरा नियंत्रण रखेगी। हालाकि इस का विस्तार उन सेवाओं पर नहीं होगा जिनका संबध पुलिस, क़ानून एवं व्यवस्था और पुलिस से है। लेफ्टिनेंट गवर्नर भूमि, क़ानून एवं व्यवस्था और भूमि के अलावा सभी मामलों में दिल्ली सरकार के निर्णय से बाध्य होंगे।”
पीठ ने आदेश में कहा कि “एक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के पास समवर्ती सूचि के तहत क़ानून बनाने की शक्ति है वही मौजूदा केंद्रीय क़ानून के अधीन होगा। इसी के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि केंद्र द्वारा राज्यों का शासन अपने हाथ में न लिया जाये। “
ग़ौरतलब है कि दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण के मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच काफी समय से विवाद चल रहा है।
एक ओर जहाँ दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सभी प्रशासनिक सेवाओं पर पुरे नियंत्रण की मांग करती रही है वहीँ केंद्र इसको एक पूर्ण राज्य जैसे अधिकार दिए जाने का विरोध करता रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण को लेकर पिछले 4 सालों से दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई चल रही थी।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 18 जनवरी को इस मामले की सुनवाई पूरी कर आदेश को सुरक्षित रख लिया था।