हिंदी में बहस कर रहे याची से सुप्रीम कोर्ट ने कहा “इस कोर्ट की भाषा अंग्रेजी है”, कानूनी सहायता के रूप में एक अधिवक्ता को किया नियुक्त
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- November 18, 2022
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से पेश हुए और अपना पक्ष रखने के लिए हिंदी में बहस शुरू करने वाले एक याचिकाकर्ता से कहा कि इस अदालत की भाषा अंग्रेजी है।
जस्टिस के एम जोसफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने याचिकाकर्ता शंकरलाल शर्मा को कोर्ट की भाषा समझने में असमर्थ पाकर उन्हें क़ानूनी सहायता के रूप में एक अधिवक्ता मुहैया कराया है।
क्या है मामला ?
शुक्रवार को इस मामले में जैसे ही कोर्ट की कार्रवाही शुरू हुई याचिकाकर्ता शंकरलाल शर्मा ने हिंदी भाषा में अपनी बात रखते हुए कहा कि उसका केस शीर्ष न्यायालय सहित कई न्यायालयों में चल चुका है लेकिन उसे कहीं से किसी भी तरह की राहत नहीं मिली है।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जोसफ ने याचिकाकर्ता शर्मा से कहा कि यह एक पेचीदा केस है लेकिन आप जो कह रहे हैं उसे समझने में कोर्ट असमर्थ हैं।
जस्टिस जोसफ ने शर्मा से कहा कि इस कोर्ट की भाषा अंग्रेजी है, अगर आप चाहें तो हम एक अधिवक्ता आप को मुहैया कर सकते हैं जो आप के केस में बहस कर सकता है।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी दिवान ने शर्मा के अनुवादक के रूप में सहायता की। दिवान ने शर्मा से बात कर कोर्ट को बताया कि शर्मा कोर्ट के क़ानूनी सहायता के प्रस्ताव को स्वीकार करने को तैयार हैं।
पीठ ने वहां मौजूद एक दूसरे अधिवक्ता से याचिकाकर्ता की सहायता करने के लिए कहा जो याचिकाकर्ता की सहायता के लिए सहमत हो गए।
पीठ ने अधिवक्ता से कहा हमें आशा है कि आप प्रो बोनो (pro bono) सहायता करेंगे। अधिवक्ता ने प्रो बोनो सहायता करने पर सहमति दी थी ।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 4 दिसम्बर को रखी है।