पॉक्सो एक्ट में रेप के आरोपी को विवाह करने की शर्त पर ज़मानत, इलाहबाद हाई कोर्ट का फैसला
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- October 15, 2022
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इलाहबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में नाबालिग लड़की के साथ रेप के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाया है।
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने आरोपी को इस शर्त पर ज़मानत दे दी कि वह रिहा होने के बाद 15 दिन के अंदर पीड़िता से विवाह करेगा। गौरतलब है कि कोर्ट में रेप के आरोपी ने ज़मानत के लिए अपील दायर की थी।
क्या है मामला?
मामले में आवेदक (आरोपी) मोनू के खिलाफ लखीमपुर खीरी के नीमगांव थाने में आई पी सी की धारा 363, 366, और 376 सहित 3/4 पॉक्सो एक्ट के तहत FIR (संख्या 00071/ 2022) दर्ज की गयी थी।
आवेदक (आरोपी) पर अभियोक्ता (पीड़िता) को 22 और 23 मार्च 2022 की रात में बहकाने का आरोप था। अभियोक्ता ने बाद में एक बच्ची को भी जन्म दिया था। इसी मामले में आरोपी ने हाई कोर्ट में ज़मानत के लिए आवेदन किया था।
सुनवाई के दौरान अभियोक्ता (पीड़िता) और उसके पिता कोर्ट में मौजूद थे। अभियोक्ता और उसके पिता ने कोर्ट से कहा कि यदि आवेदक हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार अभियोक्ता से विवाह कर लेता है और अभियोक्ता और बच्ची को पत्नी और बेटी के रूप में सारे अधिकार देता है तो उन्हें उसकी ज़मानत से कोई आपत्ति नहीं है।
आरोपी (आवेदक) की वकील ने कोर्ट को बताया कि आरोपी अभियोक्ता के साथ विवाह के लिए राज़ी है। वकील ने कहा कि वास्तव में दोनों विवाह करने के लिए ही भागे थे क्यूंकि दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे। जैसे ही आवेदक (आरोपी) रिहा होगा वह अभियोक्ता से विवाह कर उसका पंजीकरण करा लेगा।
कोर्ट ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए मामले में आरोपी को कुछ शर्तों के सााथ ज़मानत दे दी।
कोर्ट की शर्तें
- आवेदक ज़मानत पर रिहा होने के बाद 15 दिनों के अंदर अभियोक्ता से विवाह करेगा। विवाह होने के बाद 1 महीने के अंदर विवाह का
- पंजीकरण कराएगा। अभियोक्ता और अपनी बच्ची को पत्नी और बेटी के रूप में सारे अधिकार देगा।
- आवेदक इस आशय का एक वचन पत्र दाखिल करेगा कि निचली अदालत की कार्यवाही में किसी तरह का स्थगन नहीं मांगे गा
- आवेदक खुद या वकील के माध्यम से निचली अदालत द्वारा तय तारीखों हाज़िर होगा।
कोर्ट ने कहा कि शर्तों के उल्लंघन को ज़मानत की स्वतंत्रता का दुरूपयोग माना जाएगा।