न्यायिक कार्यवाही की रिपोर्टिंग करते समय मीडिया को रहना चाहिए सावधान, निष्पक्ष सुनवाई की तरह निजता का अधिकार भी है मौलिक अधिकार: केरला हाई कोर्ट

न्यायिक कार्यवाही की रिपोर्टिंग करते समय मीडिया को रहना चाहिए सावधान, निष्पक्ष सुनवाई की तरह निजता का अधिकार भी है मौलिक अधिकार: केरला हाई कोर्ट

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  • June 22, 2023
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केरला हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले के सुनवाई के दौरान मामले के मीडिया कवरेज के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणियां की है।

कोर्ट ने मीडिया से न्यायिक कार्यवाही विशेषकर जजों द्वारा किसी मामले में की गई मौखिक टिप्पणियों के संबंध में रिपोर्टिंग करते समय सावधानी बरतने को कहा है।

जस्टिस एके जयसंकरन नांबियार और जस्टिस मुहम्मद नियाज़ की खंडपीठ प्रिया वरगीस की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जबकि निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को लंबे समय से एक नागरिक के मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हाल के दिनों में निजता के अधिकार को भी उक्त अधिकार का हिस्सा माना गया है।

कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति की निजता का अधिकार न केवल राज्य के खिलाफ है बल्कि मीडिया जैसे निजी पक्षों के भी खिलाफ है।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने कोर्ट में अपील दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी जिसमे कन्नूर विश्विद्यालय द्वारा एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में उसकी नियुक्ति को दुबारा जांचने का निर्देश दिया गया था।

एकल पीठ का आदेश डॉक्टर जोसफ द्वारा दायर याचिका पर आया था जो वरिष्ठता क्रम की सूची में दूसरे स्थान पर थे जबकि वर्गीस पहले स्थान पर थीं।

नवंबर 2022 में जस्टिस दीवान रामचंदरन की एकल पीठ ने वर्गीस के वरिष्ठता सूची में पहले स्थान पर होने के बावजूद यह फैसला दिया था कि वर्गीस के पास एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए अपेक्षित शिक्षण अनुभव नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में कन्नूर विश्विद्यालय को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता की नियुक्ति पर पुनः जांच कर उनकी वरिष्ठता क्रम पर फैसला करे।

ग़ौरतलब है कि वर्गीस केरला के मुख्यंत्री के निजी सचिव के के रागेश की पत्नी है। कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले ने मीडिया की खूब सुर्खिया बटोरी थीं।

एकल पीठ के आदेश के खिलाफ वर्गीस ने अपील दायर की थी।

खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के बाद कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रावधानों के अनुसार किसी संकाय द्वारा पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने में लगने वाले समय की अवधि को संकाय विकास कार्यक्रम में बिताए जाने पर शिक्षण अनुभव की अवधि पर विचार करते समय अलग नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा कन्नूर विश्विद्यालय में एनएसएस निदेशक के रूप में प्रतिनियुक्ति पर बिताये गए समय को उसके शिक्षण अनुभव के रूप में माना जाएगा।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता की एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति को जारी अधिसूचना के आधार पर विचार करने का निर्देश दिया।

Case Title : Priya Varghese V Dr. Joseph Skariah

आदेश यहाँ पढ़ें –

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