हमारी न्यायिक व्यवस्था २१वीं सदी की वास्तविकताओं  के साथ मैच  करने को तैयार : प्रधान मंत्री

हमारी न्यायिक व्यवस्था २१वीं सदी की वास्तविकताओं के साथ मैच करने को तैयार : प्रधान मंत्री

नई दिल्ली :

दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित प्रथम अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण  (DLSAs )  के सम्मलेन का उद्धघाटन करते हुए प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था, न्याय के प्राचीन भारतीय मूल्यों के लिए भी प्रतिबद्ध है और २१वीं सदी की वास्तविकताओं  के साथ मैच करने के लिए भी तैयार है।

इससे पहले आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने नेशनल सर्विसेज़ लीगल अथॉरिटी द्वारा आयोजित प्रथम अखिल भारतीय डिस्ट्रिक्ट  सेर्विसेज़ लीगल अथॉरिटीज के सम्मलेन का उद्धघाटन किया।  इस अवसर पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA ) के मुख्य संरक्षक  एवं भारत के मुख्य न्यायधीश एन वी  रमना, विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरण रिजिजू, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी चेयरमैन जस्टिस उदय उमेश  ललित एवं जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ मुख्य रूप से उपस्थिति थे।

अपने सम्बोधन में प्रधान मंत्री ने कई बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की  साथ ही उन्होंने नालसा द्वारा किये जा रहे कार्यों की भी सराहना की।

प्रधान मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि  संविधान के अनुच्छेद 39 A ने क़ानूनी सहायता को बहुत प्राथमिकता दी है इसका महत्तव हम देश में लोगो के भरोसे से देख सकते हैं।  प्रधानमंत्री ने कहा कि  हमारे यहाँ सामान्य से सामान्य मानव को यह विश्वास होता है कि अगर कोई नहीं सुनेगा तो अदालत के दरवाज़े खुले हैं. न्याय का यह भरोसा हर देश वासी को यह एहसास दिलाता है कि देश कि व्यवस्थाएं उसके अधिकारों की रक्षा कर रही हैं.

प्रधान मंत्री ने  न्याय वितरण पर अपने विचार रखते हुए कहा कि न्याय प्रणाली तक पहुंच  जितनी आवश्यक है उतना ही आवश्यक न्याय वितरण भी है इसमें न्यायिक आधारभूत संरचना का मुख्य योगदान होता है एवं पिछले आठ वर्षों में आधारभूत संरचना को मज़बूत करने के लिए तेज़ गति से काम हुआ है, न्यायिक प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए नौ हज़ार करोड़ रूपये खर्च किये जा रहे हैं। देश में कोर्ट्स हॉल्स की संख्या में भी वृद्धि हुई है. आधारभूत संरचना के निर्माण में ये तेज़ी न्याय वितरण में भी तेज़ी लाएगी।

न्याय प्रणाली को  आधुनिक बनाने के सम्बन्ध में प्रधान मंत्री ने कई मुद्दों को रेखांकित करते हुए कहा कि दुनिया एक अभूतपूर्व डिजिटल क्रांति की साक्षी बन रही है और भारत इस क्रांति का मुख्य केंद्र बन कर कर उभरा है. इसी क्रम में प्रधान मंत्री ने डिजिटल पेमेंट के महत्व और उसके विस्तार की चर्चा करते हुए कहा कि आज दुनिया में जितने रियल टाइम डिजिटल पेमेंट हो रहे है  उसमे अकेले भारत कि साझेदारी 40% है।

  न्यायिक प्रणाली में टेक्नोलॉजी के महत्व पर बोलते हुए प्रधान मंत्री ने कहा के सामान्य मानवी तक न्याय वितरण के लिए नालसा और सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को टेक्नोलॉजी की ताकत का अधिक से अधिक इस्तिमाल करना होगा।

प्रधान मंत्री ने अपने सम्बोधन में न्यायिक सशक्तिकरण एवं जागरूकता और कानूनी साक्षरता के लिए पिछले वर्ष राष्ट्रपति द्वारा शुरू किये गए पैन इण्डिया आउट रीच अभियान का हवाला देते हुए कहा कि इसमें नालसा और  जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी।

अंत में प्रधान मंत्री ने देश में विचारधीन कैदियों की चर्चा करते हुए कहा की उच्च न्यायलय ने पहले भी कई बार इस विषय में संवेदनशीलता दिखाई है ऐसे कितने ही कैदी हैं जो कानूनी सहायता के इन्तिज़ार में वर्षों से जेलों में बंद हैं हमारी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLA ) इन कैदियों को  कानूनी सहायता देने का ज़िम्मा उठा सकती है। 

प्रधान मंत्री ने सम्मलेन में उपस्थिति देश भर से आये हुए जिला जजों से आग्रह किया कि समीक्षा समिति  के चेयरमैन होने के नाते वह विचाराधीन कैदियों की रिहाई में तेज़ी लाए।

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