घरेलु हिंसा से पीड़ित पतियों के बीच बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से किया इंकार
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- July 3, 2023
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को घरेलु हिंसा से पीड़ित पतियों के बीच बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं के मामले में दायर एक जनहित याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया।
याचिका में घरेलु हिंसा के शिकार विवाहित पुरुषों में बढ़ती आत्महत्या की दर से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी करने और ऐसे मामलो की शिकायत के लिए राष्ट्रीय पुरुष आयोग की स्थापना करने की मांग की गई थी।
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ इस मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी।
याचिका में विवाहित पुरूषों के बीच आत्महत्या के बढ़ते दर के मुद्दे पर शोध करने के लिए भारत के विधि आयोग को निर्देश देने की मांग के साथ इस मुद्दे से निपटने के लिए राष्ट्रीय पुरुष आयोग की स्थापना करने का सुझाव दिया गया था।
इस संबध में कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से प्रस्तुति में कहा गया था कि विवाहित पुरुषों के बीच आत्महत्या की बढ़ती दर के मुद्दे पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)की ओर से जारी डाटा चौकाने वाला है। याचिका में कहा गया था कि इतना बड़ा क़दम उठाने से पहले अपनी समस्या को प्रकट करने के लिए कोई प्रावधान या रास्ता नहीं है।
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि “किसी के प्रति गलत सहानुभूति का सवाल नहीं। आप एकतरफा तस्वीर पेश करना चाहते हैं जिसे स्वीकार करने की इच्छा नहीं है।”
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि “क्या आप हमें आंकड़े दे सकते हैं कि देश में कितनी युवा महिलाएं शादी के एक, दो या तीन साल के भीतर मर रही हैं ?”
कोर्ट ने कहा कि घरेलु हिंसा से पीड़ित पुरुषों के पास भी विकल्प हैं और ऐसे मामलो से निपटने के लिए क़ानून में प्रयाप्त प्रावधान हैं।
कोर्ट की ओर से इस मामले पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त करने के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस लेने का फैसला किया।