सुप्रीम कोर्ट का मुस्लिम लड़कियों के लिए एक समान वैवाहिक उम्र की मांग वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस
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- December 9, 2022
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा मुस्लिम महिलाओं के लिए एक समान वैवाहिक आयु की मांग वाली याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया है।
शीर्ष न्यायालय ने केंद्र से 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ याचिका की सुनवाई कर रही थी।
इस संबंध में राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि पॉक्सो अधिनियम और बाल विवाह पर प्रतिबन्ध के प्रभाव को देखते हुए यह एक गंभीर मुद्दा है।
आयोग की मांग है कि व्यक्तिगत और धार्मिक कानूनों के बावजूद पॉक्सो अधिनियम, आई पी सी और बाल विवाह निषेध अधिनियम को लागु किया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉज़ के अलावा अन्य सभी पर्सनल लॉज़ के तहत विवाह की न्यूनतम उम्र मौजूदा क़ानून के अनुरूप है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत यौवन अवस्था प्राप्त कर चुके लोग विवाह करने योग्य हैं भले ही वे अभी नाबालिग हों।
याचिका में तर्क दिया गया है कि यह मनमाना, तर्कहीन और भेदभावपूर्ण है क्यूंकि यह पॉक्सो अधिनियम, आई पी सी और बाल विवाह निषेध अधिनियम का उल्लंघन भी है।
ग़ौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मुस्लिम जोड़े को यह कह कर सुरक्षा प्रदान की थी कि यौवन अवस्था प्राप्त कर चुकी लड़की मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत विवाह योग्य उम्र की है।
हाईकोर्ट के इस आदेश को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।