निजता बिना गरिमा का अस्तित्व नहीं, केरला हाईकोर्ट ने महिला की तस्वीरों को ऑनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफार्म से हटाए जाने का दिया आदेश
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- June 23, 2023
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केरला हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि निजता मानव गरिमा का संवैधानिक मूल है।
जस्टिस के बाबू की पीठ एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमे कहा गया था कि उसके नाम, तस्वीरों और निजी जानकारियों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रकाशित करके उसे अपमानित किया गया और उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन किया गया है।
महिला का दावा था कि अनैतिक व्यापर (निवारण) अधिनियम (Immoral Traffic (Prevention) Act) के तहत दर्ज एक मामले में उसके नाम, तस्वीर, पहचान और अन्य विवरण को यूट्यूब समेत अन्य ऑनलाइन मीडिया प्लेटफार्म पर प्रचारित किया गया है। महिला का दावा था कि मामला दर्ज किए जाने के बाद ग़ैरक़ानूनी रूप से उसे मीडिया के सामने लाया गया और उसे उक्त मामले से जोड़ा गया। महिला का कहना था कि इस कारण उसे साइबर हमले और अपमान का सामना करना पड़ा है।
महिला ने कोर्ट को बताया कि इस संबंध में अधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस लिए उसे थक हारकर कोर्ट से गुहार लगानी पड़ी।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी प्रस्तुति में कहा कि उसे व्यवसाय के अधिकार से वंचित किया गया है। याचिकाकर्ता का तर्क था कि सोशल मीडिया में उसके नाम, चित्र और पहचान का प्रसार कर उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन किया गया है।
कोर्ट ने व्यक्ति की निजता पर ज़ोर देते हुए कहा कि ” निजता व्यक्ति की पवित्रता की परम अभिव्यक्ति है। निजता के बिना गरिमा नव्यक्ति की गरिमा नहीं हो सकती। यह मौलिक अधिकारों पर आधारित एक संवैधानिक मूल्य है। निजता ही व्यक्ति को गरिमा का आश्वासन देती है। गरिमा वह मूलभूत है जो मौलिक अधिकारों को एकजुट करती है। निजता मानव गरिमा का संवैधानिक मूल है।”
कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को ऑनलाइन मीडिया प्लेटफार्म से याचिकाकर्ता की तस्वीरें हटाने के लिए क़दम उठाने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 27 जून निर्धारित की है।
केस टाइटल: XXX बनाम केरला राज्य व अन्य (WP(CRL.) NO. 609 OF 2023 (S) )
आदेश यहाँ पढ़ें-