पति के दूसरी महिला के साथ रहने की स्थिति में पत्नी को वैवाहिक घर में रहने पर मजबूर नहीं किया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

पति के दूसरी महिला के साथ रहने की स्थिति में पत्नी को वैवाहिक घर में रहने पर मजबूर नहीं किया जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

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  • June 23, 2023
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हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पारिवारिक वाद से जुड़े मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अगर पति किसी दूसरी महिला के साथ रह रहा हो तो पत्नी को वैवाहिक घर में रहने पर मजबूर नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस सत्येन वैद्य की पीठ इस मामले में एक पति द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमे पारिवारिक न्यायलय के आदेश को चुनौती दी गई थी।

अपीलकर्ता ने पारिवारिक न्यायालय में हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत पत्नी द्वारा क्रूरता और परित्याग करने के आधार तलाक़ के लिए आवेदन किया था।

पारिवारिक न्यायालय ने अपीलकर्ता के तलाक़ के आवेदन को ख़ारिज कर दिया था जिसके बाद उसने हाई कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी।

कोर्ट ने अपीलकर्ता द्वारा पत्नी पर लगाए गए क्रूरता और परित्याग के आरोपों को ख़ारिज कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता ने कोर्ट के समक्ष ऐसा कोई उदाहरण प्रस्तुत नहीं किया जिस से पत्नी द्वारा क्रूरता किए जाने का पता चलता हो। केवल यह कहा गया कि वैवाहिक जीवन के आरंभ से पत्नी का रवैया पति और उसके पारिवारिक सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण था। पत्नी झगडे करती थी और वैवाहिक घर छोड़ देती थी। इस से परे पत्नी के क्रूर होने के संबंध में विशेष रूप से कुछ नहीं कहा गया।

कोर्ट ने इस मामले में पति द्वारा पत्नी पर लगाए गए परित्याग के आरोप को ख़ारिज करते हुए कहा कि पत्नी के पास अलग रहने का उचित आधार है क्योँकि अगर पति किसी दूसरी महिला से विवाह कर उसके साथ रह रहा हो तो किसी पत्नी को उसके वैवाहिक घर में रहने पर मजबूर नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्य से केवल यही साबित हो सका है कि 1995 से पत्नी अपीलकर्ता /पति से अलग रह रही है। लेकिन पत्नी के पास अलग रहने का उचित आधार है क्योँकि अपीलकर्ता ने एक दूसरी महिला से विवाह कर लिया था जिस से अपीलकर्ता के दो बच्चे हैं।

कोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता से जब जांच के दौरान दूसरी महिला लच्छी से विवाह और उस से दो बच्चे होने के बारे में पूछा गया तो उसने इसका इंकार किया लेकिन दूसरे विवाह के आरोप के बचाव में एक भी शब्द नहीं कहा। जबकि प्रतिवादी / पत्नी और उसके गवाहों की ओर से अपीलकर्ता / पति द्वारा दूसरी महिला से विवाह करने के तथ्य पर स्पष्ट रूप से जोर दिया गया था। दूसरे विवाह के संबंध में प्रतिवादी /पत्नी द्वारा प्रस्तुत किए गए गवाह का बयान जिसमे अपीलकर्ता के दूसरे विवाह और उससे दो बच्चे होने का दावा किया गया था अविवादित रहा।
कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता ने इस आरोप का प्रतिवाद नहीं किया जबकि प्रतिवादी / पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय के समक्ष गवाह प्रस्तुत किए जिन्हों ने अपीलकर्ता द्वारा दूसरे विवाह किए जाने के आरोप का समर्थन किया।

कोर्ट ने इन तथ्यों पर विचार कर अपीलकर्ता की अपील को ख़ारिज करते हुए इस मामले में पारिवारिक न्यायालय के आदेश को बरक़रार रखने का आदेश दिया।

केस टाइटल : नैन सुख बनाम सीमा देवी (FAO No. 437 of 2010)

आदेश यहाँ पढ़ें –

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