अपनी मर्ज़ी से वैवाहिक घर छोड़ने पर पति से भरणपोषण प्राप्त करने का पत्नी को नहीं है अधिकार: इलाहबाद हाईकोर्ट
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- June 13, 2023
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इलाहबाद हाई कोर्ट ने अपनी मर्ज़ी से वैवाहिक घर छोड़ने वाली महिला को भरणपोषण देने से मन कर दिया है।
जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सी आर पी सी की धारा 125 (4) के प्रावधान से स्पष्ट है कि एक पत्नी अगर पति के साथ रहने से इंकार कर दे तो उसे अपने पति से भरणपोषण प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं होगा ।
कोर्ट इस मामले में एक समीक्षा याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसे महिला के पति ने दायर किया था। याचिका में मथुरा की परिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमे पति को भरणपोषण के लिए अपनी पत्नी को 10 हज़ार रुपए प्रतिमाह भुगतान किये जाने का आदेश दिया गया था।
कोर्ट ने इस मामले में पाया कि पत्नी ने अपनी मर्ज़ी से वैवाहिक घर छोड़ दिया था इस लिए उसे सी आर पी सी की धारा 125 (4) के तहत पति से भरणपोषण प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने मथुरा पारिवारिक न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया।
महिला का दावा था कि उसने अपनी मर्ज़ी से वैवाहिक घर नहीं छोड़ा था। उसने कहा था कि ससुराल वाले उस से अधिक दान दहेज़ की मांग करते थे।
याचिका में कहा गया था कि याची और उसकी पत्नी का विवाह 2015 में हुआ था। विवाह के बाद 2017 में महिला की चिकित्सा जांच से पता चला था कि वह मां नहीं बन सकती है जिसके बाद याची ने पुलिस में अपनी पत्नी और उसके पारिवारिक सदस्यों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। याची का आरोप था कि उसकी पत्नी और उसके पारिवारिक सदस्यों ने उस से और उसके परिवार के सदस्यों के साथ मार पीट की थी।
याची ने जनवरी 2018 में तलाक़ के लिए आवेदन किया था।
फिर उसके बाद फरवरी 2018 में महिला ने अपने पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ आई पी सी की धारा 498A, 504, 323, 377 सहित दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया था।
महिला की ओर से वकील का तर्क था कि उसने अपना वैवाहिक घर नहीं छोड़ा था। कोई महिला बिना किसी कारण अपने वैवाहिक घर को नहीं छोड़ती है। उसके ससुराल वालों ने उसे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया गया था।
Case: Gaurav Vashishtha Vs State Of UP & Another (CRIMINAL REVISION No. – 4498 of 2022)
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