नाबालिग से विवाह के बाद सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध भी रेप, पॉक्सो एक्ट में इलाहबाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
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- October 14, 2022
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इलाहबाद हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को नाबालिग लड़की से विवाह के बाद उसकी सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध के मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है।
जस्टिस सुधारानी ठाकुर की एकल बेंच ने अपने आदेश में माना कि नाबालिग लड़की से विवाह के बाद उसकी सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध भी दुष्कर्म माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में नाबालिग की सहमति का कोई महत्त्व नहीं है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता (आरोपी) को राहत देने से इंकार कर दिया और उसकी ज़मानत की अपील ख़ारिज कर दी।
क्या है मामला?
इस मामले में अलीगढ निवासी प्रवीण कश्यप ने कोर्ट में ज़मानत के लिए अर्ज़ी दायर की थी। याचिकाकर्ता (आरोपी) के खिलाफ अलीगढ के लोढ़ा ठाणे में अपहरण, रेप और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अभियोजन का तर्क
अभियोजन पक्ष ने आरोपी (याचिकाकर्ता) की ओर से दी गयी दलीलों का विरोध किया था। इस संबंध में स्कूल द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर कहा गया कि घटना के समय लड़की नाबालिग थी। नाबालिग द्वारा दी गयी सहमति का कोई महत्त्व नहीं है।
हाई कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने माना कि लड़की ने भले ही अपनी मर्ज़ी से घर छोड़ा और शादी की हो और अपनी सहमति से ही शारीरिक संबंध बनाए हों लेकिन नाबालिग द्वारा दी गयी सहमति का कानून की नज़र में कोई महत्त्व नहीं है।
जस्टिस सुधा रानी ठाकुर की एकल बेंच ने अपने आदेश में कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में ज़मानत की अपील मंज़ूर करना उचित नहीं है। इस लिए याचिकाकर्ता (आरोपी) की अपील ख़ारिज की जाती है।
क्या है पॉक्सो एक्ट ?
पॉक्सो एक्ट यानि प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्स्युअल ऑफेन्सेस साल 2012 में भारत सरकार द्वारा लाया गया ऐसा अधिनियम है जिसके तहत बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण दिया जाता है।
यह अधिनियम 18 साल से कम उम्र के बच्चों को नाबालिग के रूप में परिभाषित कर उनके खिलाफ अवैध यौन गतिविधियों में शामिल होने से निषिद्ध करता है।
यह अधिनियम लैंगिक रूप से तटस्थ है।
इस अधिनियम के तहत अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान है।
इस अधिनियम के तहत 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ रेप के दोषी को फांसी की सजा का प्रावधान है।
इस अधिनियम के तहत 12 से 18 साल के बच्चों के साथ शारीरिक संबंध और रेप के दोषी की सजा 10 साल से बढ़ा कर 20 साल कर दी गयी है।