भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़: एक संक्षिप्त जीवन परिचय
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- November 10, 2022
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जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने बुधवार को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है।
राष्ट्रपति द्रुपदी मुर्मू ने जस्टिस चंद्रचूड़ को राष्ट्रपति भवन में पद की शपथ दिलवाई है।
जीवन परिचय
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को मुंबई में हुआ था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली के प्रतिष्ठित स्टीफेन कॉलेज से इकोनॉमिक्स में स्नातक और 1982 में दिल्ली विश्विधालय से विधि में स्नातक किया था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने हारवर्ड लॉ स्कूल से एल एल एम करने बाद 1986 में जुडिशियल साइंस में डॉक्टरेट किया था।
1998 में जस्टिस चंद्रचूड़ बॉम्बे हाई कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित हुए थे। वह सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट में अधिवक्ता के तौर पर अपनी सेवा दे चुके हैं।
मार्च 2000 में जस्टिस चंद्रचूड़ बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त हुए। बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायाधीश के पद पर नियुक्त से पहले जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के पद पर कार्यक्रत थे।
अक्तूबर 2013 में जस्टिस चंद्रचूड़ इलाहबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। 2016 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति तक वह इस पद पर रहे।
जस्टिस चंद्रचूड़ के दो बेटे अभिनव और चिंतन हैं, अभिनव बॉम्बे हाई कोर्ट में अधिवक्ता हैं जबकि चिंतन एक ब्रिटिश लॉ फर्म में काम करते हैं।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने हाल ही में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत हर महिला को सुरक्षित और क़ानूनी गर्भपात का अधिकार दिया था। इसमें उन्होंने मैरिटल रेप को भी शामिल किया था।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने व्यभिचार के अपराध से सम्बंधित आई पी सी की धारा 497 को रद्द करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ के एक सदस्य के रूप में कहा था कि यह प्रावधान “विनाशकारी” था और महिलाओं को उनकी स्वायत्तता, गरिमा और गोपनीयता से वंचित करता है।
जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ लम्बे समय तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
ऐतिहासिक फैसले
“एकान्तता का अधिकार” जस्टिस के एस पुत्तास्वामी बनाम यूनियन ऑफ़ इण्डिया (2017)
“आधार केस ” जस्टिस के एस पुत्तास्वामी बनाम यूनियन ऑफ़ इण्डिया (2018)
“सबरीमाला टेम्पल केस” (2018)
“नवतेज सिंह जोहर केस” (2018)
“भीमा कोरेगांव केस”
“जोसफ शाइन बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया (2018) (आई पी सी की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित करने का मामला)