सह अभियुक्त का ज़मानत के बाद आत्मसमर्पण न करना दूसरे अभियुक्त को ज़मानत न दिए जाने का सार्थक कारण नहीं : सुप्रीम कोर्ट
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- June 9, 2023
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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सह अभियुक्तों के जमानत पर रिहा होने के बाद आत्मसमर्पण नहीं करने के लिए हाई कोर्ट द्वारा एक अभियुक्त की ज़मानत याचिका ख़ारिज किए जाने के खिलाफ अपील की अनुमति दी है।
जस्टिस के एम जोसफ और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने जेल में बंद आरोपी के ज़मानत के आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक मामले में सह आरोपी अगर ज़मानत मिलने के बाद आत्मसमर्पण नहीं करता तो यह दूसरे आरोपी को ज़मानत पर रिहा नहीं किए जाने का कारण नहीं हो सकता है।
आवेदक पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम (NDPS Act) की धारा 20(b)(ii)(c) के तहत कथित अपराध करने का आरोप लगाया गया था। वह दो साल से अधिक समय से हिरासत में था। हाई कोर्ट द्वारा पारित आक्षेपित आदेश आरोपी द्वारा दूसरी बार ज़मानत के लिए दायर आवेदन का आदेश है। हाईकोर्ट ने जमानत पर छूटे सह आरोपी के आत्मसमर्पण नहीं करने के कारण आरोपी द्वारा दूसरी बार दायर की गई जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था।
इस मामले में पक्षकारों की प्रस्तुति को देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि “आक्षेपित आदेश से पता चलता है कि कोर्ट के लिए महत्वपूर्ण बिंदु यह तथ्य था कि जमानत पर रिहा हुए सह-आरोपी ने आत्मसमर्पण नहीं किया है। यह अकेला कारण है जिसे हम जमानत अर्जी पर विचार नहीं करने का कारण मान सकते हैं।”
कोर्ट ने माना कि “सह-आरोपी जो जमानत पर रिहा हुआ था, उसने आत्मसमर्पण नहीं किया है, सह-आरोपी, अर्थात् आवेदक को जमानत न दिए जाने सार्थक कारण नहीं हो सकता है।”
Case Title: SEBIL ELANJIMPALLY Vs. THE STATE OF ODISA
Case no: CRIMINAL APPEAL NO. 1578 OF 2023 (Arising out of SLP (Crl.) No. 3518 of 2023)
आदेश यहाँ पढ़ें –