BREAKING: ज्ञानवापी परिसर मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका, इलाहबाद हाईकोर्ट ने ख़ारिज की पुनर्विचार याचिका

BREAKING: ज्ञानवापी परिसर मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका, इलाहबाद हाईकोर्ट ने ख़ारिज की पुनर्विचार याचिका

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  • May 31, 2023
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इलाहबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में ज्ञानवापी परिसर में श्रंगार गौरी की नियमित पूजा के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की पुनर्विचार की याचिका को ख़ारिज कर दिया है।

इस से पहले वाराणसी की जिला अदालत ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका को ख़ारिज कर दिया था जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने इलाहबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जिला अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।

इलाहबाद हाई कोर्ट में जस्टिस जे जे मुनीर की एकल पीठ ने इस मामले में 23 दिसंबर 2022 को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था।

इस मामले में राखी सिंह व अन्य 9 लोगों की ओर से वाराणसी की जिला अदालत में वाद दायर किया गया था जिसमे मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को ख़ारिज कर दिया गया था।

मुस्लिम पक्ष ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाल देकर तर्क दिया था कि इस मामले में दायर वाद पोषणीय नहीं है।

18 अगस्त 2021 को हिन्दू महिला वादियों ने वाराणसी की जिला अदालत में ज्ञानवापी परिसर में श्रंगार गौरी, गणेश जी और हनुमान जी सहित परिसर में मौजूद अन्य देवी देवताओं की पूजा की अनुमति के लिए वाद दायर किया था।

महिला वादियों ने कहा था कि जिस तरह ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज़ होती है उसी तरह हमें भी पूजा करने की अनुमति दी जाए।

वादियों का तर्क था कि मस्जिद परिसर एक हिन्दू पूजा स्थल था जिसे औरंगज़ेब ने धवस्त कर दिया था जिसके बाद उस स्थान पर मस्जिद का निर्माण हुआ था।

मुस्लिम पक्ष ने इस वाद की पोषणीयता को जिला अदालत में चुनौती दी थी और पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला दिया था।

कोर्ट ने 12 सितंबर को अपने आदेश में मुस्लिम पक्ष के तर्क को ख़ारिज करते हुए कहा था कि हिंदू पुजारियों का दावा है कि मस्जिद परिसर के भीतर मौजूद देवी देवताओं की पूजा 15 अगस्त 1947 के बाद भी होती रही है इस लिए इस मामले में पूजा स्थल अधिनियम 1991 लागु नहीं होता है।

जिला अदालत के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट में याचिका दायर दायर की थी।

हाईकोर्ट ने आज मुस्लिम पक्ष की जिला अदालत के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज कर जिला अदालत के आदेश को सही ठहराया है।

कोर्ट ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 इस मामले में किसी तरह की रूकावट पैदा नहीं करता और वादियों द्वारा दायर किया गया वाद इस अधिनियम की धारा 9 के तहत वर्जित नहीं है।

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