डीयू के पूर्व प्रोफेसर साई बाबा को जेल में ही रहना होगा, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को किया निरस्त
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- October 16, 2022
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दिल्ली विश्वविधालय के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा को अभी जेल में ही रहना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को जी एन साईबाबा सहित अन्य पांच दोषियों को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा रिहा करने के आदेश को निरस्त कर दिया है।
इस से पूर्व गडचिरौली (महाराष्ट्र) की निचली अदालत द्वारा ग़ैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत विभिन्न धाराओं में साई बाबा सहित अन्य पांच लोगों को दोषी पाया गया था।
निचली अदालत के आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने शुक्रवार को निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर उन्हें जेल से रिहा करने का आदेश दिया था।
जस्टिस एम आर शाह और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने शनिवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया था।
पीठ ने साई बाबा के इस अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया कि शारीरिक अक्षमता और स्वास्थ को देखते हुए उन्हें घर में ही नज़रबंद किया जाए। साई बाबा के अनुरोध पर आपत्ति जताते हुए महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि “इन दिनों घर में नज़र बंद करने कि मांग करना अर्बन नक्सलियों की नई आदत बन गयी है।”
सुप्रीम कोर्ट ने साई बाबा को ज़मानत के लिए नई अपील दायर करने की अनुमति दे दी है।
गौरतलब है कि 2017 में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत विभिन्न धाराओं में साई बाबा सहित अन्य पांच लोगों को दोषी पाया गया था। उन पर माओवादी संगठन से भी संबंध रखने का आरोप था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत में अभियोजन के दौरान प्रक्रियात्मक खामियों के चलते साई बाबा सहित अन्य पांच लोगों को सजा मुक्त कर दिया था। मामले में एक अन्य दोषी पांडु पोरा निरोटे की मृत्य हो चुकी है।