आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण बरक़रार, सुप्रीम कोर्ट ने माना संवैधानिक
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- March 20, 2023
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Originally Published on Nov. 7, 2022
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्ववपूर्ण फैसले में आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को बरक़रार रखा है।
पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 3:2 के बहुमत से EWS कोटा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि यह कानून का उल्लंघन नहीं है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ 103वें संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई कर रही थी जो आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को 10% आरक्षण प्रदान करता है।
चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित की अध्यक्षता में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने 3:2 के बहुमत से EWS के लिए 103वें संविधान संशोधन के तहत प्राप्त आरक्षण को बरक़रार रखने का आदेश दिया है।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला वाला ने जहाँ आरक्षण का समर्थन किया है वहीँ चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट इस के खिलाफ हैं।
ग़ौरतलब है कि पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) को दिए गए 10 % आरक्षण की संवैधानिक वैधता से संबंधित 3 मुख्य बिंदुओं पर विचार कर रही थी।
1 – क्या संविधान के तहत आर्थिक मानदंडों के आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है? ऐसा करने में संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन तो नहीं है?
2 – क्या 103वें संविधान संशोधन के तहत राज्य को निजी ग़ैर सहायता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश से संबंधित विशेष प्रावधान करने की अनुमति प्रदान करना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन कहा जा सकता है?
3 – क्या सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) / अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) / अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) के दायरे से बाहर रखने में संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने कहा कि EWS आरक्षण के लिए संविधान का 103 वां संशोधन वैध है और इसमें मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं है।
जस्टिस एस रविंद्र भट ने सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) / अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) / अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST ) को आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) के दायरे से बाहर रखने को भेदभावपूर्ण माना है।