हिजाब प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट में जजों की राय अलग अलग, अब बड़ी बेंच करेगी सुनवाई
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- October 13, 2022
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सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कर्नाटक सरकार द्वारा राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध के खिलाफ याचिकाओं पर फैसला सुनाया। इस मामले में दोनों जजों की राय अलग अलग है।
जस्टिस हिमांशु धूलिया ने कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा हिजाब प्रतिबंध के आदेश को रद्द कर दिया वही दूसरी ओर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए उसके खिलाफ दायर सभी अपीलों को ख़ारिज कर दिया।
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की गयी 26 याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है। आदेश में कहा गया था कि हिजाब इस्लाम का आवश्यक अभ्यास नहीं है, और शिक्षण संस्थानों में सरकार द्वारा हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को सही ठहराया गया था।
जस्टिस सुधांशु धूलिया ने इस मामले में अलग राय देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस धूलिया ने कहा कि इस विवाद में आवश्यक धार्मिक अभ्यास की पूरी अवधारणा ज़रूरी नहीं थी।
जस्टिस धुलिया ने कहा कि “सब से बड़ा सवाल लड़कियों की शिक्षा है। क्या हम उनके जीवन को बेहतर बना रहे हैं? मेरे मन में यही सवाल था। मैंने 5 फरवरी के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया है। और प्रतिबंधों को हटाने का आदेश दिया है।
दूसरी ओर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने प्रतिबंध को सही ठहराते हुए 11 सवाल उठाए हैं। जस्टिस गुप्ता ने कहा कि क्या अनुच्छेद 19, 21 और 25 के तहत कपडे चुनने का अधिकार दिया जा सकता है? अनुच्छेद 25 की सीमा क्या है? क्या इस मामले को संविधान बेंच को भेज दिया जाए?
क्या हिजाब और यूनिफार्म पहनने को लेकर कॉलेज प्रबंधन कोई फैसला ले सकता है? क्या सरकार के इस आदेश से मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है ? क्या सरकारी आदेश शिक्षा तक पहुंच के उद्देश्य को पूरा करता है? मेरी राय में उत्तर अपीलकर्ताओं के खिलाफ है और मै अपील को ख़ारिज करता हूँ।
अलग अलग राय को देखते हुए अब उचित दिशा-निर्देशों के लिए मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाएगा।
ग़ौरतलब है कि 22 सितम्बर को मामले में 10 दिनों की सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रखा गया था।