विवाह का झूठा वादा कर विवाहित महिला के साथ सहमति से शारीरिक संबंध स्थापित करने में रेप का मामला नहीं बनता: केरला हाईकोर्ट
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- November 25, 2022
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केरला हाईकोर्ट की इरनाकुलम पीठ ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में माना कि विवाहित महिला के साथ शादी के झूठे वादे पर सहमति से शारीरिक संबंध स्थापित करना रेप की श्रेणी में नहीं आता है।
कोर्ट ने माना कि ऐसे वादे कानून के तहत लागु करने योग्य नहीं हैं।
जस्टिस डॉ कौसर इदप्पागत की पीठ ने यह आदेश आरोपी टीनो थंकाचन द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
क्या है मामला?
इस मामले में याची ने अपने खिलाफ आई पी सी की धारा 376 (बलात्कार के लिए दंड), धारा 417 (धोका देने के लिए दंड) और धारा 493 (धोके से वैध विवाह के प्रलोभन के साथ सहवास ) के तहत दर्ज मुक़दमे को ख़ारिज करने की मांग की थी।
याची पर आरोप था कि उसने विवाह का झूठा वचन दे कर ऑस्ट्रेलिया में पीड़िता का यौन शोषण किया था।
याची का पक्ष –
याची पक्ष की ओर से अधिवक्ता महेश वी रामकृष्णन का ने अपनी प्रस्तुति में कहा कि अगर फर्स्ट इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (FIS ) में दर्ज बयान को उसके अंकित मूल्य के रूप में लिया जाए तब भी आई पी सी की धाराओं 376, 417, औऱ 493 के तहत अपराध का मामला नहीं बनता।
कोर्ट ने माना कि फर्स्ट इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट के अनुसार याची ओर पीड़िता दोनों भारत के नागरिक हैं। दोनों ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक के माध्यम से मिले फिर उनका संबंध प्रेम में बदल गया। दोनों ने विवाह करने का निर्णय भी लिया। इसी बीच दोनों में आपसी सहमति से शारीरिक संबंध भी स्थापित हुए।
कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी संख्या 2 / पीड़िता के अनुसार उसने शारीरिक संबंध की सहमति याची द्वारा विवाह के वचन पर दी थी। प्रतिवादी संख्या 2 एक विवाहित महिला है, जो अपने पति से अलग रह रही है। लेकिन तलाक की कार्रवाही अभी चल रही है। हालांकि एफ आई एस में दर्ज है कि याची ने पीड़िता को शारीरिक संबंध स्थापित करने के लिए मजबूर किया लेकिन पुरे बयान को देखने से लगता है कि ये संबध सहमति से था।
इस मामले में पीड़िता का केस याची द्वारा विवाह के झूठे वचन के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने का है।
कोर्ट ने कहा कि रंजीत बनाम स्टेट ऑफ़ केरला, 2022 (1) KHC 195 में इस कोर्ट ने माना था कि अगर कोई पुरुष किसी स्त्री से विवाह के वादे से इंकार करता है तो उनके बीच सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध आई पी सी की धारा 376 के तहत अपराध को आकर्षित नहीं करता है जब तक कि यह सिद्ध न हो जाए कि विवाह के वचन को पूरा न करने की नियत से उसने ऐसे शारीरिक संबंध स्थापित करने की सहमति प्राप्त की थी।
कोर्ट ने माना कि XXX बनाम स्टेट ऑफ़ केरला, 2022 KHC 296 में इस कोर्ट का आदेश था कि आरोपी द्वारा एक विवाहित महिला से विवाह का वचन क़ानूनी रूप से लागु करने योग्य नहीं होता। ऐसा अप्रवर्तनीय औऱ ग़ैर क़ानूनी वचन आई पी सी की धारा 376 के तहत अभियोजन का आधार नहीं हो सकता है।
पीठ ने माना कि इस मामले में आई पी सी की धाराओं 376, 417, औऱ 493 के तहत अपराध का मामला नहीं बनता है।
पीठ ने इस मामले में याची की अपील को अनुमति देते हुए जिला कोल्लम के पुनालूर पुलिस थाने में आरोपी के खिलाफ अपराध संख्या 37/ 2018 में आगे की सभी कार्रवाही को ख़ारिज करने का आदेश दिया है।
केस टाइटल: टीनो थंकाचन बनाम स्टेट ऑफ़ केरला व अन्य (CRL.MC NO. 1819 OF 2019)
पूरा आदेश यहाँ पढ़ें –