क़ानूनी शिक्षा पर केरला हाई कोर्ट के जस्टिस मुहम्मद मुस्ताक की टिप्पणी से बार कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया नाराज़, विज्ञप्ति जारी कर की निंदा
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- June 19, 2023
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कानूनी शिक्षा के विनियम के बारे में की गई टिप्पणी को लेकर बार कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया ने केरला हाई कोर्ट के जस्टिस मुहम्मद मुस्ताक को आड़े हाथों लिया है।
केरला हाई कोर्ट के जस्टिस मुहम्मद मुस्ताक ने हाल ही में कहा था कि “कानूनी शिक्षा में सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि बार कॉउन्सिल के सदस्य कानूनी शिक्षा को निर्धारित करते हैं और भारत में एलएलबी पाठ्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम तय करते हैं।”
जस्टिस मुस्ताक ने कहा था कि “बार कॉउन्सिल में अधिक्तर मुकदमेबाज़ी करने वाले वकील होते हैं और क़ानून के विषय में उनका ज्ञान ज़्यादातर मुकदमेबाज़ी तक ही सीमित होता है। यह बार कॉउन्सिल द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम में भी परिलक्षित होता है।”
बार कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया ने रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जस्टिस मुस्ताक के बयान की निंदा की है।
कॉउन्सिल ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि “बार काउंसिल द्वारा कानूनी शिक्षा के नियमन के बारे में केरला हाई कोर्ट के एक जज श्री जस्टिस मुहम्मद मुस्ताक की विचित्र टिप्पणियों को पढ़कर हम स्तब्ध हैं। केवल इसलिए कि वह एक जज हैं उन्हें उचित जानकारी के बिना किसी व्यक्ति या संगठन के खिलाफ कोई टिप्पणी करने की स्वतंत्रता नहीं है। बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया, बार कॉउन्सिल के खिलाफ केरला हाई कोर्ट के श्री जस्टिस मुहम्मद मुस्ताक द्वारा की गई गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों की कड़ी निंदा करती है।जस्टिस मुस्ताक को ऐसी विचित्र टिप्पणी करने से पहले उचित तैयारी करनी चाहिए थी।”
कॉउन्सिल ने कहा है कि कानूनी शिक्षा की नीतियां और मानदंड एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा ही तय किए जाते हैं। इस उच्च स्तरीय समिति में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के वर्तमान और पूर्व जजों के अलावा देश के प्रसिद्ध शिक्षविद जिनमे प्रतिष्ठित लॉ विश्विद्यालयों के कुलपति, केंद्रीय व अन्य सरकारी और प्राइवेट विश्विद्यालयों के डीन के साथ साथ देश के प्रसिद्ध वकील सदस्य के रूप में शामिल हैं।
विज्ञप्ति में कॉउन्सिल द्वारा हाल ही में बार कॉउन्सिल ऑफ़ इंग्लैंड एंड वेल्स और लॉ सोसाइटी ऑफ़ इंग्लैंड एंड वेल्स के साथ हुए कॉउन्सिल के समझौता ज्ञापन का उल्लेख करते हुए कॉउन्सिल की गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया है।
विज्ञप्ति के अनुसार “बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कानूनी शिक्षा और कानूनी पेशे के विकास के लिए एक सलाहकार बोर्ड भी गठित किया है, जिसमें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कई माननीय न्यायाधीश शामिल हैं, जिनमें भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश, कई वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रसिद्ध विधि शिक्षक शामिल हैं। बार काउंसिल कानूनी शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए सभी प्रयास कर रही है और आज कई भारतीय लॉ विश्वविद्यालयों के उत्पादों की कई विकसित देशों के लॉ स्कूलों में बहुत मांग है।”
कॉउन्सिल ने कहा है कि ” आलोचना करने और निहित स्वार्थों को सुनने के बजाय, माननीय न्यायाधीश श्री मुहम्मद मुस्ताक को बार काउंसिल को अपने बहुमूल्य सुझाव और इनपुट देने चाहिए, जिसके लिए वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अनुमोदित संस्थान में कानून का अध्ययन करने के लिए बहुत अधिक ऋणी हैं।”
प्रेस विज्ञप्ति यहाँ पढ़ें –