पति की ओर से पत्नी के नाम खरीदी गई हर संपत्ति बेनामी संपत्ति नहीं होती : कलकत्ता हाईकोर्ट
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- June 13, 2023
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कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि किसी महिला की ओर से संपत्ति खरीदना हमेशा बेनामी लेनदेन नहीं माना जाता है।
कोर्ट ने यह आदेश उस मामले के जवाब में दिया जहां एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के नाम पर एक संपत्ति खरीदी थी, लेकिन बाद में दावा किया कि यह उसकी अपनी संपत्ति थी।
जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और पार्थ सारथी चटर्जी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि “भारतीय समाज में यदि कोई पति अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति प्राप्त करने के लिए धन की आपूर्ति करता है तो इस तरह के तथ्य का अर्थ बेनामी लेनदेन नहीं है। धन का स्रोत, निस्संदेह, एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन निर्णायक नहीं है। “
कोर्ट एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें एक पारिवारिक संपत्ति के विवाद में एक बेटे ने दावा किया था कि उसके दिवंगत पिता ने उसकी मां को बेनामी संपत्ति दी थी।
कोर्ट ने कहा कि “ट्रांसफर एक बेनामी लेनदेन है इसे साबित करने की ज़िम्मेदारी हमेशा उस व्यक्ति पर होती है जो इसका दावा करता है। “
इस मामले में पिता ने 1969 में अपनी ग्रहणी पत्नी के नाम पर घर खरीदा और पंजीकृत कराया था। जिसके पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं था। उस पर उसने दो मंजिला घर बनाया। उत्तराधिकार नियमों के अनुसार पत्नी बेटे और बेटी में से प्रत्येक को 1999 में उनकी मृत्यु के बाद संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा मिला। बेटा 2011 तक वहीं रहा लेकिन जब वह चला गया तो उसने संपत्ति को अपने, अपनी मां और अपनी बहन के बीच बांटने की मांग की थी जिसे अन्य दो (माँ व बहन)ने अस्वीकार कर दिया। बाद में बेटे ने बेनामी लेनदेन का दावा करते हुए कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।
मामलों को और जटिल बनाने के लिए माँ ने 2019 में अपने निधन से पहले अपनी आधी संपत्ति बेटी को दे दी थी क्योंकि वह अपने बेटे के व्यवहार से परेशान थी।