सीआरपीसी की धारा 160 व 41A : पुलिस जांच की आड़ में आरोपी और गवाह का उत्पीड़न नहीं कर सकती, मद्रास हाईकोर्ट ने जारी किया दिशानिर्देश
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- June 1, 2023
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मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में पुलिस की जांच से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सीआरपीसी की धारा 160 या 41A के तहत पुलिस की कार्रवाई के विषय में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं।
जस्टिस साथी कुमार सुकुमारा कुरूप की पीठ ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पुलिस जांच करने की असीमित शक्ति का उपयोग केवल वैध रूप से सीआरपीसी के दायरे में ही कर सकती है।
याची का कहना था कि पुलिस जांच की आड़ में उसका उत्पीड़न कर रही है।
कोर्ट ने कहा कि आम तौर पर पुलिस द्वारा की जा रही जांच में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करता लेकिन यदि जांच की आड़ में नागरिकों के उत्पीड़न का मुद्दा कोर्ट के समक्ष लाया जाता है तो कोर्ट खामोश नहीं भी नहीं रह सकता।
पुलिस की ओर से प्रस्तुति में कहा गया था कि “याची के विरुद्ध शिकायत मिलने के बाद सीआरपीसी की धारा 41A के तहत नोटिस जारी किया गया था। क़ानून का पालन करने वाले नागरिक के रूप में याची पुलिस द्वारा जारी 41A के नोटिस का सम्मान करने और जांच अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होने के लिए बाध्य है। शब्द “उत्पीड़न” अपने आप में व्यापक है इस लिए पुलिस के लिए हो सकता है कि वह उत्पीड़न न हो जिसे याची अपना उत्पीड़न समझती हो।”
कोर्ट ने ऐसी स्थितियों से बचने के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किए।
कोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा सीआरपीसी की धारा 160 और 41A की कार्रवाई लिखित समन द्वारा की जाएगी। पुलिस द्वारा की जा रही जांच का विवरण पुलिस स्टेशन की जनरल डायरी में दर्ज किया जाएगा। पुलिस अधिकारीयों को पूछ ताछ या जांच के लिए बुलाए गए व्यक्तियों के उत्पीड़न से बचना होगा।
कोर्ट ने याची को लंबित जांच में पुलिस का सहयोग करने के साथ पुलिस द्वारा याची को विषम समय में समन न किए जाने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने प्रारंभिक जांच और एफआईआर दर्ज किए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य 2014 के मामले में दिए गए दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किए जाने का निर्देश दिया।
केस : रजनी बनाम सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस सेलम Crl.O.P.No.12133 of 2023
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